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Thug Life Review: कमल हासन ने किया मास्टर स्ट्रोक या भारी भूल? जानिए पूरी सच्चाई


Thug Life Review: 
भारतीय सिनेमा में कुछ नाम ऐसे हैं जिनका जिक्र आते ही दर्शन सम्मान से सर झुका लेते हैं।

मणिरत्नम ऐसा ही एक नाम है नायक, रोजा, और रावण  जैसी कालजई फिल्मों के निर्माता निर्देशक मणिरत्नम के नाम से ही सिनेमा प्रेमियों में रोमांस भरा जाता है।और दर्शक सिनेमा हॉल तक खींचे चले जाते हैं। 

उन्होंने ठग लाइफ नाम से एक नई गैंगस्टर ड्रामा फिल्म बनाने की घोषणा की इसमें कमल हसन जैसे दिग्गज अभिनेता STR ञिशा, नासर और अशोक सेल्वन जैसे कलाकार शामिल हो तो यह स्वाभाविक था। कि दर्शकों की उम्मीदें बहुत ऊंची हो गई थी।

लेकिन आइए जानते हैं कि क्या मणिरत्नम किया फिल्म उन उम्मीदों पर खरे उतरे या नहीं क्या ठग लाइफ वह फिल्म है। 

जीसे भारतीय सिनेमा की स्वर्णिम अध्याय में दर्ज किया जाएगा या नहीं आईये इस फिल्म की गहराई से समीक्षा करते हैं। 

कहानी की नीव: पुराने पाप और नए नायक

Thug Life की बात करें तो कहानी शक्तिवेल (कमल हासन) के इर्द गिर्द घूमती है जो एक पूर्व गैंगस्टर है और अब एक सादा जीवन जी रहा है,उसका अतीत उसे बार-बार खींच लाता है और एक दिन उसका सामना अपने पुराने साथी और दुश्मन से होता है।

एक बवाल में फंसकर वह अपने बेटे को बचाकर निकलता है लेकिन उसकी छोटी बच्ची उसी भगदड़ में खो जाती है। 

शक्तिवेल अपनी बेटी को ढूंढ नहीं पता लेकिन एक अखबार बांटने वाले लड़के अमर को वह अपने साथ ले आता है और उसे अपने बेटे की तरह पलता है समय बीतता है अमर जवान होता है अब उसके सामने सच्चाई खुलती है, कि वह कौन है क्या शक्तिवेल ने उससे कुछ छुपाया है क्या अमर की नियति भी एक गैंगस्टर की तरह लिखी जा चुकी है।

किरदार अभिनय का प्रदर्शन या निराशा की झलक

कमल हासन (शक्तिवेल) का अभिनय हमेशा ही बेजोड़ रहा है इस फिल्म में भी उनके एक्सप्रेशंस डायलॉग डिलीवरी और इमोशनल सींस में गहराई साफ झलकती है।

लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें उतना स्पेस नहीं देता जितना उनका किरदार रिजर्व करता है एक सीनियर गैंगस्टर के रूप में वह प्रभावशाली है लेकिन उनके कैरेक्टर का इमोशनल आर्क अधूरा लगता है।

STR (अमर)

सिलंबरासन के पास दमदार मौका था कि वह फिल्म मे अपनी मौजूदगी दर्ज कराए।

शुरुआत में उनकी मासूमियत और बाद में उठता संदेह उन्हें दर्शकों से जोड़ता है लेकिन स्क्रिप्ट के कमजोरी के चलते उनके किरदार का अंत इतना जल्द और अव्यवस्थित हो जाता है कि उनके प्रति सहानुभूति नहीं बन पाती। 

ञिशा इंद्राणी

ञिशा का किरदार  शक्तिवेल की प्रेमिका के रूप में दिखाया गया है,जो उसकी वैवाहिक जिंदगी से बाहर है।

उनका ट्रैक एक तरह से फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा है एक्स्ट्रा मैरिज एंगल पूरी कहान कहानी से भटका हुआ है।  और गैर जरूरी लगता है इससे फिल्म की मूल संवेदना पर असर पड़ता है। 

नासर और अशोक सेल्वन

सहायक किरदारों की अगर बात करें तो उसमें नासर ने फिर से अपना जलवा दिखाया है उनका गंभीर और ठोस अभिनय फिल्म में भार बनाए रखक है।

अशोक सेल्वन  का किरदार सीमित है लेकिन वह अपनी उपस्थिति से दर्शकों के बीच असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं।

निर्देशन मणिरत्नम की कलात्मक लेकिन कमजोर कड़ी 

मणिरत्नम की फिल्मों में भावनात्मक गहराई शानदार सिनेमैटिक ग्राफी और संगीत के साथ कहानी का ताना बाना हमेशा से उनकी पहचान रही है।

Thug Life में भी सिनेमैटिक ग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर से अपनी छाप छोड़ते हैं। लेकिन स्क्रिप्ट का झोल और किरदारों के अधूरे आर्क फिल्म को एक बिखरे हुए अनुभव में बदल देते हैं। 

फिल्म की शुरुआत धमाकेदार है लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है दर्शकों का कनेक्ट खोने लगता है फिल्म की लंबाई धीमी गति और बार-बार ट्रैक बदलना इस बोझिल बनाते हैं और दर्शकों का ध्यान भटकता है। 

संगीत

ए आर रहमान का music फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। उनका बैकग्राउंड स्कोर हर दृश्य को एकतरफ़ा ऊपर ले जाता है।

लेकिन गानों की प्लेसमेंट कहानी के प्रवाह में बाधा डालती है। अगर  सिनेमैटिक ग्राफी की बात करें तो यह लाजवाब है।

तमिलनाडु की गलियों रात के अंधेरे और अपराध की छाया को बहुत खूबसूरती से शूट किया गया है। रंगों का चयन और कैमरा मूवमेंट मणि रत्नम के सौंदर्य बहुत को दर्शाते हैं।

वहीं अगर एडिटिंग की बात की जाए तो एडिटिंग में सबसे ज्यादा निराशा देखने को मिलती है।फिल्म को करीब 20 मिनट छोटा किया जा सकता था। कई दृश्य ऐसे हैं  जो फिल्में की कहानी को आगे नहीं बढ़ाते सिर्फ रुकावट बनते हैं।

फिल्म की कमजोरी 

इंद्राणी और शक्तिबेल का एक्स्ट्रा मटेरियल अफेयर कहानी से जुड़ता नहीं है। यह ट्रैक हटाया जाता तो कहानी ज्यादा प्रभावशाली बनती बेटी की शादी वाला सीक्वेंस भी कहानी की मुख्य धारा से करता हुआ लगता है।

भावनात्मक कनेक्ट की कमी, फिल्म का सबसे बड़ा दोष यही है कि दर्शक पात्रों से इमोशनली जुड़ नहीं पाते स्क्रिप्ट की उलझन कहानी कई जगहों पर अपना ध्यान खोटी है और दर्शन भ्रमित हो जाते हैं की मुख्य संघर्ष क्या है।

क्या फिल्म देखने लायक है 

यदि आप मणिरत्नम के फैन है सिनेमा खूबसूरती को पसंद करते हैं और कमल हासन जैसे दिग्गज को स्क्रीन पर देखना चाहते हैं। तो यह फिल्म एक बार जरूरी देखी जा सकती है लेकिन यदि आप एक कसी हुई गैंगस्टर थ्रिलर की उम्मीद लेकर बैठे हैं जो नायक या सत्या जैसी तो यह फिल्म आपको अधूरा सा अनुभव देगी और आप निराश हो जाएंगे। 

RATING 3/5 🌟 

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