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Primary School News: गर्मी से छात्र घर में, लेकिन शिक्षक मैदान में 15 दिन तक बड़ी गर्मी की छुट्टियां


Primary School News:उत्तर प्रदेश में ईस समय भीषण गर्मी पढ़ रही है तपमैन 44 डिग्री सेलसीउस के पार पहुंच गया है,इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकर ने कक्षा आठ तक के सभी विद्यालययों मैं गर्मी का अवकाश बढ़ा दिया है।यह निर्णय विशेष रूप से छात्र-छात्राओं के लिए किया गया है,ताकि वे ईस असहनीय गर्मी से सुरक्षित रह सके, लेकिन ईस अवधि में शिक्षकों को राहत नहीं दी गई है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है, कि शिक्षकों को 16 जून से नियमित रूप से विद्यालय जना होगा और स्कूल से संबंधित अन्य कार्यों को पुरा करना होगा।

शिक्षकों के लिए स्कूल उपस्थिति अनिवार्य

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों को 16 जून से नियमित से विद्यालय जाना होगा और स्कूल के सभी कार्यों को पूरा करना होगा इन कार्यों में रिकॉर्ड अपडेट करना अगले सत्र की तैयारी और स्कूल की साफ सफाई शामिल है।

शासन का कहना है कि शिक्षकों की उपस्थिति से स्कूलों की व्यवस्था बनी रहेगी और अगला सत्र सुचारू रूप से शुरू हो सकेगा हालांकि इस दौरान कोई शैक्षणिक गतिविधि नहीं होगी क्योंकि बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे।

शिक्षकों का असंतोष शासन से गुहार

शिक्षकों ने इस निर्णय पर असंतोष जताया है और शासन से ग्रीष्म अवकाश में छूट की मांग की है।उनका कहना है कि जब सरकार गर्मी से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी कर रही है, तो शिक्षकों को बिना पढ़ाई के स्कूल जाने का निर्देश उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

शिक्षकों ने मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई है, जिसमें उन्होंने कहा कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और लंबी दूरी तय करने की मजबूरी गर्मी में जोखिम बढ़ती है,वह सुझाव देते हैं कि कार्यों को ऑनलाइन या गर्मी कम होने पर किया जाए। 

समर कैंप और स्कूलों की स्थिति

ग्रीष्मकल के बावजूद स्कूल पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं,क्योंकि शासन ने निजी स्कूलों की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों में समर कैंप आयोजित करने के निर्देश दिए थे। यह कैंप 12 जून तक चलेगें लेकिन प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे इसमें शामिल नहीं हुए।जूनियर विद्यालयों में समर कैंप लागू हुई जहां शिक्षकों की उपस्थिती स्वैच्छिक थी लेकिन शिक्षामित्र और अनुदेशकों के लिए अनिवार्य थी। अब 16 जून से स्कूल खुल रहे हैं लेकिन शिक्षकों को ही उपस्थित होना होगा जिससे उनके बीच असंतोष बढ़ रहा है।

महिला शिक्षकों को विशेष परेशानी

इस निर्णय से महिला शिक्षकों को अधिक परेशानी का सामना करना पड रहा है। बहुत सी महिला शिक्षिकाएं दूर दराज के इलाकों से आती हैं।और सर्वजैनिक परिवहन की सुविधाएं भी सीमित है। गर्मी में लंबी यात्रा करना और फिर बिना छात्रों के विद्यालय में कार्य करना उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है, शिक्षक संघों ने सरकार से आग्रह किया है, की महिला शिक्षकों को प्राथमिकता देते हुऎ कार्य स्थल में लचीलापन दिया जाए।

शिक्षक संघों की चेतावनी

प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संघो ने चेतावनी दी है,कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वह प्रतीकात्मक विरोध या सामूहिक अवकाश जैसे कदम उठा सकते हैं उनका कहना है, कि सरकार को शिक्षकों को केवल कार्य मशीन ना समझ कर उनके स्वास्थ्य और मानवीय परिस्थितियों का भी ध्यान रखना चाहिए। 

स्थानीय प्रशासन की भूमिका अहम

स्थानिया जिला प्रशासन को भी निर्देश दिये गए हैं, की वे यह सूनिश्चित करें की शिक्षकों की अपस्थिति नियमित रहे और कार्यों में कोई ढीलाई ना हो हालाकि कुछ जिलों में प्रशासन ने शिक्षकों के लिए पेयजल छाया और प्राथमिक चिकित्सा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही है,फिर भी शिक्षकों का मनाना है की यह केवल प्रतिकआत्मक प्रयास है, और उन्हें राहत देने के लिए ठोस नीति की आवश्यकता है।

मानसिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाएं

गर्मी के इस कठिन दौर में शिक्षकों पर न सिर्फ प्रशासनिक दबाव है, बल्कि सामाजिक अपेक्षाएं भी उन पर भारी पड़ रही हैं कई शिक्षक बताते हैं, कि जब छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं और कोई शैक्षिक कार्य नहीं हो रहा है तब केवल औपचारिकता निभाने के लिए स्कूल बुलाना मानसिक रूप से ढाका देने वाला है शिक्षकों का कहना है कि समाज उन्हें सरकारी नौकरी वाले कहकर सुविधाजनक स्थिति में मानता है, जबकि हकीकत यह है कि उन्हें बिना किसी ठोस काम के भी कठिन परिस्थितियों में उपस्थित होना पड़ता है, इससे उनका मनोबल गिरता है और कार्य के प्रति रुचि कम होती है।

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