इस्तीफा का मुख्य कारण क्या है
टी राजा सिंह ने जी किशन रेड्डी को लिखे अपने पत्र में कहा है। कि मीडिया में आई खबरों, जिसमे रामचंद्र राव को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताया उन्होंने इसे स्वयं और लाखों कार्यकर्ताओं के लिए झटका और धोखा करार दिया है इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह किया यह चयन पार्टी के हितों के खिलाफ जाकर भविष्य में संगठन को कमजोर कर सकता है। खासकर जब बीजेपी पहली बार तेलंगाना में सरकार बनाने की प्रबल संभावना देख रही थी।
टी राजा सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर त्यागपत्र की काफी साझा करते हुए लिखा बहुतों की चुप्पी को सहमति नहीं समझना चाहिए। मैं उन अनगिनत कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के लिए बोल रहा हूं जो आज निराशा महसूस कर रहे हैं जय श्री राम।
नेतृत्व विवाद और बीजेपी की रणनीति
टी राजा सिंह ने हाल ही में एक वीडियो संदेश में भाजपा नेतृत्व से खुद को तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि पार्टी कार्यकर्ता उन्हें इस पद पर देखना चाहते हैं। राजा सिंह ने गौर रच्छा और हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित बिग बनाने की योजना भी प्रस्तुत की थी। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भाजपा हाई कमान ने रामचंद्र राव को अध्यक्ष पद के लिए चुना जिससे राजा सिंह और उनके समर्थकों में असंतोष फैल गया।
टी राजा सिंह का राजनीतिक सफर
गोसामहल से तीन बार के विधायक टी राजा सिंह तेलंगाना में बीजेपी के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। वह 2014,2018 और 2023 में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। उनके तीखे बयानों और हिंदुत्व के प्रति उनकी मुखरता ने उन्हें एक तरफ लोकप्रियता दिलाई तो दूसरी तरफ कई विवादों में भी घेरा 2022 में पैगंबर मोहम्मद पर उनकी कथित टिप्पणी के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित किया गया था। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका निलंबन रद्द कर दिया गया था।
बीजेपी के लिए चुनौती क्या है
टी राजा सिंह का इस्तीफा तेलंगाना में बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। खासकर तब जब पार्टी राज्य में अपनी पहली सरकार बनाने की दिशा में काम कर रही थी। उनके समर्थकों का मानना है कि यह फैसला पार्टी के हिंदुत्व वादी आधार को कमजोर कर सकता है। राजा सिंह ने अपने बयान में स्पष्ट किया है। कि वह भाजपा छोड़ने के बावजूद हिंदुत्व और गोशामहल की जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। अब आगे देखने वाली बातें यह है कि बीजेपी क्या उन्हें मानती है। या टी राजा सिंह अपना आगे का रास्ता चुनने के लिए आजाद है।
आगे क्या हो सकता है
राजा सिंह ने विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है। जिसके चलते वह निर्दलीय विधायक के तौर पर अपनी भूमिका निभा सकते हैं। उनके इस कदम से तेलंगाना की राजनीति में नई हलचल की संभावना है। बीजेपी हाई कम।न अब इस संकट को कैसे संभालती है यह देखने वाली बात होगी।
हिंदुत्व का अडिग समर्थन
भले ही वह पार्टी में नहीं है,राजा सिंह ने स्पष्ट किया कि वह हिंदुत्व और गोशामहल के लोगों की सेवा से पीछे नहीं हटेंगे उन्होंने कहा कि अब उनकी आवाज पहले से भी तेज होगी।
भविष्य की संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टी राजा सिंह का यह कदम तेलंगाना में बीजेपी की आंतरिक कलह को और उजागर कर सकता है। कुछ का कहना है कि राजा सिंह अपनी नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की योजना बना रहे हैं। जिसमें वह हिंदुत्ववादी एजेंट को और मजबूती से आगे बढ़ा सकते हैं। उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में अभियान शुरू कर दिया है। जिसमें वह तेलंगाना की जनता का सच्चा प्रतिनिधि बता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राजा सिंह का अगला कदम क्या होगा और बीजेपी इस स्थिति से कैसे निपटती है।
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