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फोर्डो प्लांट पर हमला तय ट्रम्प की वापसी और इजरायल की चुप्पी जानिए क्या कुछ कहती है

IRAN VS ISRAEL: इसराइल अपने हमले को लगातार जारी रखे हुए हैं और उसका लक्ष्य नतांज और इस्फहान में मौजूद यूरेनियम संवर्धन को नुकसान पहुंचाना है।और इसराइल अपने इस मकसद में कुछ हद तक कामयाब भी हुआ है।

अमेरिका में इजरायली राजदूत येचिएल लीटर का कहना है कि जब तक फोडो॔ को पूरी तरह से नेस्तनाबूद नहीं किया जाता तब तक मिशन अधूरा है। 

हालांकि फोर्डो को नष्ट करना कोई आसान काम नहीं है।यह प्लांट एक विशाल पहाड़ी के भीतर बना हुआ है।जिससे इसे तबाह करना एक पहाड़ को उड़ान जितना मुश्किल होगा।


क्या ईरान में अपने कमांडो उतरेगा इजरायल:

सूत्रों के मुताबिक यह भी संभावना जताई जा रही है। कि इसराइल स्पेशल फोर्स कमांडो सीधे ईरान की जमीन पर उतर सकता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कमांडो फोर्डो प्लांट के पास लैंड करेंगे या नहीं, यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।

वहीं कुछ रिपोर्टर्स में यह भी कहा गया है कि इजरायल माउंट डूम की जटिलता देखते हुए कमांडो ऑपरेशन पर बहुत गहराई से विचार कर रहा है। जिसमें वह गुप्त तरीके से प्लांट के भीतर या आसपास प्रवेश करना चाहता है। मोसाद और IDF ने पहले ही ईरान में असाधारण तरीके से एयर डिफेंस सिस्टम को बाधित किया है। अब इसी तर्ज पर फोर्डो संभव लक्ष्य हो सकता है।

ट्रंप का G7 से अचानक लौटना:

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने G7 से अचानक वापस लौट के बाद यह संकेत दिए हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है जिसमें फोटो पर संभावित अमेरिकी भूमिका का संकेत मिलता है हालांकि व्हाइट हाउस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह सीधे लड़ाई में शामिल होगा या नहीं फिलहाल उनकी प्राथमिकता इसराइल को हर तरह से सपोर्ट करना है

S-300  की तैनाती:

ईरान ने फोर्डो में अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (U-235) का उत्पादन बढ़ाया है। जिसे परमाणु हथियार बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
इसी बीच इसराइल ने नतांज और इस्फहान जैसे अन्य परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं।जिससे ईरान की परमाणु क्षमता को झटका लगा है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इसराइल पर सैकड़ो मिसाइल और Drone धागे हैं।लेकिन उसका एयर डिफेंस सिस्टम इजरायल के स्टील्थ F-35 और साइबर हमलों के सामने कमजोर हुआ है।  इजराइल के इस संभावित कमांडो मिशन को दुनिया का सबसे जोखिम भरा ऑपरेशन माना जा रहा है।

कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायल के 10,000 कमांडो ईरान में उतर सकते हैं, ताकि इस सयंत्र को नष्ट किया जा सके, जिसे माउंट डूम के नाम से जाना जाता है।

यह संयंत्र 90 मीटर मोटी चट्टानों के नीचे बना है और  S-300 सिस्टम द्वारा सुरक्षित है। जिसे इसराइल ने पहले अन्य स्थानों पर नष्ट किया है।विश्व शक्तियों का मानना है की फोर्डो को नष्ट करने के लिए लगातार बमबारी के साथ-साथ जमीनी कमांडो ऑपरेशन की आवश्यकता होगी।क्योंकि यह इजरायल के लिए सबसे कठिन लक्ष्य है।

क्षेत्रीय राजनीति

इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने मध्य पूर्व की भू राजनीतिक स्थिति को और जटिल कर दिया है।ईरान और इजरायल के बीच यह टकराव केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं है।बल्कि यह क्षेत्रीय प्रभुत्व और वैश्विक शक्ति संतुलन का भी हिस्सा बन चुका है।

ईरान ने फोर्डो में यूरेनियम संवर्धन की गति बढ़ाकर यह संदेश देने की कोशिश की है, कि वह बाहरी दबाव के सामने झुकेगा नहीं दूसरी ओर इजराइल का मानना है कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय स्थिरता और उसकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इस स्थिति में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य क्षेत्रीय देश भी इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर सकते हैं।जिससे क्षेत्र में एक नया गठबंधन उभरने की संभावना बढ़ रही है।

ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक बना फोर्डो

फोर्डो प्लांट में यूरेनियम 235 का उच्च स्तर पर संवर्धन किया जा रहा है। यह वही चीज है जिससे परमाणु बम बनाया जा सकता है। फोटो को तबाह करने के लिए सिर्फ मिसाइल नहीं बल्कि जमीनी ऑपरेशन साइबर अटैक एयर स्ट्राइक सब की जरूरत है।
अमेरिका यूरोप और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी लगातार इस प्लांट पर नजर रखे हुए हैं।क्योंकि यह ईरान की परमाणु मटकांक्षाओं का प्रतीक बन चुका है। इसराइल मानता है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गया तो या पूरे यहूदी राष्ट्र की अस्तित्व के लिए खतरा होगा। इसलिए इसराइल हर हाल में ईरान की न्यूक्लियर क्षमता को रोकना चाहता है चाहे इसके लिए युद्ध क्यों न करना पड़े।

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