जिसने उस छोटे से देश को वैश्विक तेल मानचित्र पर लाकर खड़ा कर दिया है।भारत जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 85 से 88% कच्चा तेल विदेश से आयात करता है।दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आया तक देश है।उसके पहले नंबर वन पर अमेरिका और दूसरे पर चीन है।
इस स्थिति में यदि देश के किसी हिस्से में बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का भंडार मिलता है। तो यह भारत की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है।केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री का यह बयान देश को सुकून देने वाली एक बहुत बड़ी खबर है।
आपको बता दे की गुयाना में लगभग 11.6 बिलियन बैरल तेल और गैस भंडार मौजूद है। गुयाना इस भंडार के साथ वैश्विक स्तर पर 17 वें स्थान पर है।
यदि भारत अंडमान सागर में ऐसा ही तेल भंडार खोजने में सफल होता है तो यह न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
भारत की तेल आयात निर्भरता और उसका प्रभाव:
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है।कच्चा तेल जो पेट्रोल और डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों का आधार है।
भारत की ऊर्जा जरूर का एक प्रमुख हिस्सा है वर्तमान में भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का केवल 12 to 15% ही स्वदेशी उत्पादन से पूरा करता है। शेष 85 टू 89% तेल सऊदी अरब इराक ईरान नाइजीरिया और अन्य देशों से आयात किया जाता है।यह आयत ना केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालता है। बल्कि वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू राजनीतिक तनाव के कारण देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी प्रभावित करता है।
तेल आयात पर निर्भरता का एक और नकारात्मक प्रभाव यह है।कि यह भारत के व्यापक घाटे को बढ़ाता है।2022-23 में भारत ने लगभग 160 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल आयात किया। जो देश के कुल आयात बिल का एक बड़ा हिस्सा है। यदि भारत अपने तेल उत्पादन को बढ़ाने में सक्षम होता है तो यह न केवल विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। बल्कि वैश्विक बाजारों में तेल की कीमतों के अनुसार चढ़ाव से होने वाले जोखिम को भी कम करेगा।
अंडमान सागर में तेल भंडार की संभावना:
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने द न्यूज़ इंडियन को दिए एक साक्षात्कार में कहा मुझे लगता है कि यह केवल समय की बात है। जब हम अंडमान सागर में एक बड़ा गुयाना खोज लेंगे हमारी खोज जारी है।
यह बयान भारत के लिए एक नई आशा की किरण लेकर आया है अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जो भारत के पूर्वी तट से लगभग 1200 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित है। भूगर्भी दृष्टिकोण से तेल और गैस के भंडारों के लिए एक संभावित क्षेत्र माना जाता है।
OILऔर ONGC जैसी सरकारी कंपनियां इस क्षेत्र में ट्रेनिंग और सर्वेक्षण कार्य में सक्रिय रूप से लगी हुई है। अंडमान सागर में तेल और गैस की खोज का विचार नया नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में कई भूगर्भी सर्वेक्षण किए गए हैंश जिनमें संकेत मिले हैं। कि यहां तेल और गैस के बड़े भंडार हो सकते हैं। हालांकि तकनीकी चुनौतियां और गहरे समुद्र में ड्रिलिंग की जटिलताओं के कारण अब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। लेकिन हाल के वर्षों में डीप सी ड्रिलिंग और भूगर्भी सर्वेक्षण में तकनीकी प्रगति ने इस क्षेत्र में खोज की संभावना को बढ़ा दिया है।
गुयाना की तुलना और इसका महत्व:
गुयाना जो दक्षिण अमेरिका में एक छोटा सा देश है,ने 2015 में फेस कॉरपोरेशन और सी एन ओ ओ सी द्वारा की गई तेल की खोज के बाद बेसिक ऊर्जा बाजार में अपनी जगह बनाई।
गुयाना के पास अनुमानित 11.6 बिलियन बैरल तेल और गैस का भंडार है जिसने इस देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया है।
यदि भारत अंडमान सागर में गुयाना के समान तेल भंडार खोजने में सफल होता है। तो इसके प्रभाव व्यापक होंगे सबसे पहले यह भारत की तेल आयात निर्भरता को काफी हद तक काम कर सकता है। यदि भारत अपनी जरूरत का 50% या उससे अधिक तेल स्वदेशी रूप से उत्पादन करने में सक्षम होता है तो विदेशी मुद्रा भंडार में अरबो डॉलर की बचत करेगा दूसरा यह भारत को वैश्विक तेल बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा जिससे तेल की भू राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी।
भारत में मौजूद तेल भंडार:
वर्तमान में भारत में कच्चे तेल के भंडार मुख्य रूप से असाम गुजरात राजस्थान मुंबई हाई और कृष्णा गोदावरी बेसिन में है। मुंबई हाई जो भारत के सबसे बड़े तेल क्षेत्र में से एक है।
देश के कुल तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करता है। इसके अलावा भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विशाखापट्टनम, मंगलौर में रणनीतिक तेल भंडार बनाए हैं। यह भंडार आपातकालीन स्थितियों जैसे युद्ध किया वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के दौरान देश की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हाल ही में ओडिशा और राजस्थान में नए रणनीतिक भंडार बनाने की योजना प्रस्तावित की गई है।
यह भंडार भारत की ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत करेंगे हालांकि यह रणनीतिक भंडार केवल अल्पकालिक आपूर्ति की गारंटी दे सकते हैं। लंबी अवधि के लिए भारत को अपने स्वदेशी तेल भंडार को बढ़ाने की आवश्यकता है अंडमान सागर में संभावित तेल भंडार उसे दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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