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America Attack On Iran:ईरान पर अमेरिकी बमबारी से बदला युद्ध का रुख नेतन्याहू ने ट्रम्प को बताया इतिहास रचने वाला


America Attack On Iran:अमेरिका ने जब से ईरान के परमाणु साइटों पर हमला किया है।  तब से पूरे दुनिया में हलचल मची हुई है। रविवार सुबह जैसे ही इसराइल के प्रधानमंत्री नेनेतन्याहू  ने अपने ऑफिस से अंग्रेजी में जनता को संबोधित करना शुरू किया तभी पूरे मध्य पूर्व की धड़कनें तेज हो गई।  उन्होंने खुलकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ की और वह भी उस वक्त जब ईरान के फोर्डो जैसे पहाड़ी दुर्ग में लगातार धमाके हो रहे थे।और इस धमाके की आवाज न केवल पूरे ईरान बल्कि पूरे विश्व में सुनाई दे रहे थे। 

रविवार को चीन के सरकारी मीडिया ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले की कड़ी आलोचना की बल्कि बेंजीग ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताते हुए क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा करार दिया है। 

चीनी रक्षा विशेषज्ञ ने दावा किया है।कि इन हमलों में अमेरिका ने अपने b2 स्टिल्ट bombers का इस्तेमाल जरूर किया है।लेकिन ईरान की भूमिगत परमाणु सुविधा इतनी मजबूत थी। कि पहले बमबारी लहर मे उन्हें भेद नहीं सकी खासकर फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर जो ईरान की सबसे गुप्त और सुरक्षा कवच वाली सुविधा मानी जाती है। को कुछ नहीं हुआ।

ईरान का पलटवार हम तैयार थे झटका नहीं लगा:

हमले के बीच ईरानी अधिकारियों ने भी अमेरिकी दावे को खारिज करते हुए बीबीसी को बताया कि हमारी सुविधा सुरक्षित है। और हमें कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है।चीन की नौसेना के सीनियर विश्लेषक झांग जूनसे ने कहा कि अमेरिका की बमबारी से जितने नुकसान इसराइल ने पहले कर लिया था। उससे अधिक कुछ नहीं हुआ उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान ने अपनी परमाणु क्षमताएं फैला रखी है।  और अमेरिका की बमबारी उन पर कोई निर्णायक प्रभाव नहीं डाल पाई है।

क्या युद्ध और भी तेज होगा:

इसी बीच चीन ने शनिवार को संघर्ष विराम की अपील की थी। लेकिन अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति नहीं रुकी तो पश्चिम एशिया एक और गंभीर युद्ध की मुहाने पर पहुंच सकता है। 

क्या ईरान का जवाब अभी बाकी है:

ईरान ने तुरंत कहा कि उसने पहले ही अपनी संवेदनशील परमाणु सामग्री को दूसरी जगह शिफ्ट कर लिया था। यानी अमेरिका और इजराइल के हाथ कुछ नहीं लगा।  इसके साथ huti विद्रोहियों ने कहा है कि अगर अमेरिका आगे बढ़ा तो लाल सागर में उसके जहाज टारगेट बनेंगे। 

यह चेतावनी महज शब्द नहीं बल्कि उस चिंगारी का संकेत है। जो पूरे खाड़ी क्षेत्र को जलाकर राख कर सकती है। अमेरिकी सैनिक, तेल के जहाज और खाड़ी देशों में अमेरिका जहां अपने सैनिक रखता है वह सभी अड्डे ईरान की रणनीति में है।

अमेरिकी हमले के बाद क्या अब शांति आएगी:

इस बात में कोई शक नहीं है कि अमेरिकी बी2 स्टिल्थ बॉम्बर्स ने जंग की दिशा को बदल दिया है।लेकिन इस बमबारी से क्या नेनेतन्याहू अपने वर्षों पुराने एजेंट ईरान को परमाणु ताकत बनने से रोकना में सफल हो पाएंगे या फिर ईरान अपने परछाई वाले दुश्मनों जैसे सीरिया इराक और लेबनान के जरिए अमेरिका और इसराइल को धीमा और घातक जवाब देगा।

ट्रंप की धमकी और ईरान की चुप्पी क्या एक बड़ा खेल चल रहा है:

शनिवार रात ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अगर ईरान ने पलटवार किया तो अमेरिका अपनी पूरी ताकत से जवाब देगा। लेकिन यह बयान भी एक रणनीतिक चल हो सकती है अमेरिका इस समय सीधे युद्ध में दिलचस्पी नहीं ले रहा। बल्कि सीमित हमले और मनोवैज्ञानिक दबाव की नीति अपनाना चाहता है। ऐसे में ईरान क्या करेगा सीधे हमले या छाया युद्ध। यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

क्या यह संघर्ष का अंत है या महायुद्ध की शुरुआत?

फिलहाल तो इस पूरे घटना ने यह साफ कर दिया है कि ईरान और इजरायल के बीच की दुश्मनी अब सिर्फ बॉर्डर तक सीमित नहीं है यह एक वैश्विक पावर गेम का हिस्सा बन चुकी है। जहां अमेरिका की भागीदारी नए अध्याय लिख रही है। नेतन्याहू को भले ही आज की जीत की मुस्कान मिल गई हो लेकिन इसराइल और अमेरिका को पता है यह सन्नाटा तूफान से पहले का भी हो सकता है। आने वाले दोनों में यह देखना होगा कि ईरान क्या रणनीति अपनाता हैं क्या वह अमेरिकी सैनिक अड्डों पर हमला करता है या फिर खाली इजरायली सैनिकों को ही निशाना बनाता है।


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